yoohanna 6:41 ka arth kya hai ? यूहन्ना 6:41 का अर्थ क्या है ?
भौतिक रोटी शरीर को थोड़े समय के लिए पोषण देती है लेकिन यीशु का अर्थ है आत्मिक पोषण जो अनन्त जीवन देता है
यह उनकी दैवीय उत्पत्ति को दर्शाता है वह केवल एक इंसान नहीं हैं जैसा कि यहूदी सोचते थे बल्कि परमेश्वर की ओर से आए हैं
yoohanna 6:41 ka arth kya hai ?
पुराने नियम में परमेश्वर ने इस्राएलियों को जंगल में मन्ना स्वर्ग की रोटी खिलाया था निर्गमन 16 मे यीशु खुद को उस मन्ना का वास्तविक रूप बताते हैं जो आत्मिक भूख को हमेशा के लिए शांत करता है मन्ना खाने वाले मर गए लेकिन यीशु को यानी उन पर विश्वास करने से अनन्त जीवन मिलता है यूहन्ना 6:49 में 51
यूहन्ना 6:41 का अर्थ क्या है ?
यहूदियों ने यीशु के सत्य वचन पर विश्वास नहीं किया क्योंकि वे उन्हें केवल यूसुफ का बेटा मानते थे ये समझ रहे थे जिसके मातापिता को वे जानते थे यूहन्ना 6:42 में वे उनके बाहरी रूप और मानवीय उत्पत्ति पर ध्यान केंद्रित कर रहे थे और वे प्रभु यीशु को मसीहा स्वीकार करने को तैयार नहीं थे।
उनका कुड़कुड़ाना उनके आत्मिक अंधापन को दर्शाता है वे परमेश्वर के भेजे हुए उद्धारकर्ता प्रभु यीशु मसीह पहचानने से इन्कार कर रहे थे ये मसीहा कैसे हो सकता है
अनन्त जीवन और आत्मिक संतुष्टि का एकमात्र स्रोत यीशु मसीह हैं उन्हें खाना का अर्थ है उन पर विश्वास करना और उनके वचनों को अपने जीवन का आधार बनाना
यह पद सिखाता है कि विश्वास के लिए दैवीय सत्य को स्वीकार करना आवश्यक है भले ही वह मानव बुद्धि के लिए अजीब लगे। यहूदियों की तरह जब हम परमेश्वर को केवल अपने सीमित भौतिक या तार्किक दृष्टिकोण से आंकते हैं तो हम अक्सर कुड़कुड़ाते हैं और सत्य से चूक जाते हैं ।
यूहन्ना 6:41 का अर्थ क्या है ?
उद्धार परमेश्वर का कार्य है यीशु बाद में कहते हैं कि कोई भी उनके पास तब तक नहीं आ सकता जब तक कि पिता जिसने उसे भेजा है उसे खींच न ले यूहन्ना 6 44 में यह दर्शाता है कि यीशु को जीवन की रोटी के रूप में स्वीकार करना केवल मानव प्रयास नहीं है बल्कि परमेश्वर के अनुग्रह और बुलावे का भी परिणाम है।
संक्षेप में यह पद बताता है कि यीशु ने स्वयं को अनन्त जीवन देने वाला परमेश्वर घोषित किया लेकिन भौतिकवादी सोच वाले लोगों ने इस बात पर अविश्वास करते है ।
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