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व्यवस्थाविवरण 5:6 का अर्थ क्या है ? Step-by-step

 व्यवस्थाविवरण 5:6 का अर्थ क्या है ? Step-by-step  यह वचन परमेश्वर के चरित्र और मनुष्य के साथ उसके संबंध की नींव रखता है। तेरा परमेश्वर यहोवा जो तुझे दासत्व के घर आर्यात् मिस्र देश में से निकाल लाया है वह मैं हूं। यहोवा परमेश्वर अपना परिचय केवल एक महान सृष्टिकर्ता के रूप में नहीं देते बल्कि एक व्यक्तिगत उद्धारकर्ता के रूप में देते हैं।  वह अपने आप को यहोवा The LORD कहकर पहचान देते हैं, जिसका अर्थ है मैं जो हूँ सो हूँ यानी    परमेश्वर आज्ञाएं देने से पहले बताते हैं कि वह कौन हैं और उन्होंने क्या किया है इसका मतलब है कि आज्ञापालन प्रेम और कृतज्ञता की प्रतिक्रिया होनी चाहिए न कि मुक्ति पाने का प्रयास।   मिस्र फिरौन शैतान का प्रतीक है इस्राएल उसके अधीन था, जो उनसे से क्रूरता से काम करवाता था। आत्मिक रूप से यह उस स्थिति को दर्शाता है जहाँ मनुष्य पाप की शक्ति और स्वार्थ के अधीन होकर कष्ट भोगता है।   मिस्र संसार और उसकी इच्छाओं का प्रतीक है जो हमें सच्चे जीवन से बांधे रखती है। What is the meaning of Deuteronomy 5:6?   हर व्यक्ति जन्म से ही एक आत्मिक ...

यूहन्ना 6:41 का अर्थ क्या है ? yoohanna 6:41 ka arth kya hai ?

 yoohanna 6:41 ka arth kya hai ? यूहन्ना 6:41 का अर्थ क्या है ?      भौतिक रोटी शरीर को थोड़े समय के लिए पोषण देती है लेकिन यीशु का अर्थ है आत्मिक पोषण जो अनन्त जीवन देता है      यह उनकी दैवीय उत्पत्ति को दर्शाता है  वह केवल एक इंसान नहीं हैं जैसा कि यहूदी सोचते थे बल्कि परमेश्वर की ओर से आए हैं  yoohanna 6:41 ka arth kya hai ?     पुराने नियम में परमेश्वर ने इस्राएलियों को जंगल में मन्ना स्वर्ग की रोटी खिलाया था निर्गमन 16 मे यीशु खुद को उस मन्ना का वास्तविक रूप बताते हैं जो आत्मिक भूख को हमेशा के लिए शांत करता है मन्ना खाने वाले मर गए  लेकिन यीशु को यानी उन पर विश्वास करने से अनन्त जीवन मिलता है यूहन्ना 6:49 में 51 यूहन्ना 6:41 का अर्थ क्या है ?     यहूदियों ने यीशु के सत्य वचन पर विश्वास नहीं किया क्योंकि वे उन्हें केवल यूसुफ का बेटा मानते थे ये समझ रहे थे जिसके मातापिता को वे जानते थे यूहन्ना 6:42 में वे उनके बाहरी रूप और मानवीय उत्पत्ति पर ध्यान केंद्रित कर रहे थे और वे प्रभु यीशु को मसीहा स्वीकार ...

1 तीमुथियुस 6:3 से 10 तक का अर्थ क्या हैं ? Step-by-step

1 तीमुथियुस 6:3 से 10 तक अर्थ क्या हैं ? Step-by-step नमस्कार जय मसीह की  1 तीमुथियुस 6:3 से 10 तक अर्थ क्या हैं ? Step-by-step यदि कोई और ही प्रकार का उपदेश देता है; और खरी बातों को, अर्थात हमारे प्रभु यीशु मसीह की बातों को और उस उपदेश को नहीं मानता, जो भक्ति के अनुसार है। 1 तीमुथियुस 6:3   तो वह अभिमानी हो गया, और कुछ नहीं जानता, वरन उसे विवाद और शब्दों पर तर्क करने का रोग है, जिन से डाह, और झगड़े, और निन्दा की बातें, और बुरे बुरे सन्देह। 1 तीमुथियुस 6:4 और उन मनुष्यों में व्यर्थ रगड़े झगड़े उत्पन्न होते हैं, जिन की बुद्धि बिगड़ गई है और वे सत्य से विहीन हो गए हैं, जो समझते हैं कि भक्ति कमाई का द्वार है। 1 तीमुथियुस 6:5 पर सन्तोष सहित भक्ति बड़ी कमाई है। 1 तीमुथियुस 6:6 क्योंकि न हम जगत में कुछ लाए हैं और न कुछ ले जा सकते हैं। 1 तीमुथियुस 6:7 और यदि हमारे पास खाने और पहिनने को हो, तो इन्हीं पर सन्तोष करना चाहिए। 1 तीमुथियुस 6:8 पर जो धनी होना चाहते हैं, वे ऐसी परीक्षा, और फंदे और बहुतेरे व्यर्थ और हानिकारक लालसाओं में फंसते हैं, जो मनुष्यों को बिगाड़ देती हैं और विनाश के समु...