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1 यूहन्ना 2 का 1 वचन हमें क्या सिखाता है ?1 yoohanna 2 ka 1 vachan hamen kya sikhaata hai

 1 यूहन्ना 2 का 1 वचन हमें क्या सिखाता है 1 yoohanna 2 ka 1 vachan hamen kya sikhaata hai  नमस्कार जय मसीह की मेरे प्रिय भाई बहनो  1 यूहन्ना 2 का 1 वचन हमें क्या सिखाता है आईये इस बात को बाईबल पढ़कर जानेंगे   हे मेरे बालकों, मैं ये बातें तुम्हें इसलिये लिखता हूं, कि तुम पाप न करो प्रेरित यूहन्ना अपने पाठकों को जिन्हें वह मेरे बालकों कहकर संबोधित करता है, जो विश्वासियों के प्रति उसका प्रेम और आत्मिक अधिकार दर्शाता है यह स्पष्ट निर्देश देता है कि उनका लक्ष्य पाप रहित जीवन जीना चाहिए।   परमेश्वर की ज्योति में चलने का अर्थ है पवित्रता का जीवन जीना और जानबूझकर पाप करने से बचना। यह एक चेतावनी है और प्रोत्साहन दोनों है कि मसीही जीवन का उद्देश्य पाप से दूर रहना है।  और यदि कोई पाप करे तो पिता के पास हमारा एक सहायक है अर्थात धार्मिक यीशु मसीह यह वचन उस वास्तविकता को भी स्वीकार करता है कि विश्वासी भी दुर्बल हैं और कभी-कभी पाप कर बैठते हैं ।   यह भाग मसीहियों को बड़ी दिलासा देता है। जब हम पाप करते हैं, तो हमें निराशा या परमेश्वर से दूर नहीं भागना चाहिए, ...

बाईबल, के अनुसार पवित्र ,आत्मा ,के द्वारा नया, जन्म ,कैसे होता है ?

 बाईबल के अनुसार पवित्र आत्मा के द्वारा नया जन्म कैसे होता है ? #HolySpirit बाईबल के अनुसार पवित्र आत्मा के द्वारा नया जन्म कैसे होता है ? ​बाइबल में  नया जन्म या फिर से जन्म लेना एक आत्मिक अनुभव है जो किसी व्यक्ति के जीवन को पूरी तरह से बदल देता है यह परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करने के लिए अत्यन्त आवश्यक है। ​यीशु मसीह ने इस विषय में नीकुदेमुस नामक एक व्यक्ति से बात की थी जिसका वर्णन यूहन्ना 3 अध्याय का 3 लेकर 7 वचन तक मिलता है। बाईबल के अनुसार परमेश्वर के वचन के द्वारा नया जन्म कैसे होता है । ​यीशु ने कहा ​मैं तुझ से सच सच कहता हूँ यदि कोई नए सिरे से न जन्मे तो परमेश्वर का राज्य देख नहीं सकता इसका  ​अर्थ है नया जन्म किसी शारीरिक प्रक्रिया का नहीं बल्कि आत्मिक परिवर्तन का संकेत है। इसका मतलब है परमेश्वर से एक नया आत्मिक जीवन प्राप्त करना। ​ बाइबल सिखाती है कि मनुष्य पाप के कारण परमेश्वर से दूर है और इस कारण वह अपनी पुरानी पापी अवस्था में परमेश्वर के राज्य में प्रवेश नहीं कर सकता  ​यीशु ने आगे वचन में स्पष्ट किया HolySpirit बाईबल के अनुसार पवित्र आत्मा के द्वार...

यूहन्ना 6:41 का अर्थ क्या है ? yoohanna 6:41 ka arth kya hai ?

 yoohanna 6:41 ka arth kya hai ? यूहन्ना 6:41 का अर्थ क्या है ?      भौतिक रोटी शरीर को थोड़े समय के लिए पोषण देती है लेकिन यीशु का अर्थ है आत्मिक पोषण जो अनन्त जीवन देता है      यह उनकी दैवीय उत्पत्ति को दर्शाता है  वह केवल एक इंसान नहीं हैं जैसा कि यहूदी सोचते थे बल्कि परमेश्वर की ओर से आए हैं  yoohanna 6:41 ka arth kya hai ?     पुराने नियम में परमेश्वर ने इस्राएलियों को जंगल में मन्ना स्वर्ग की रोटी खिलाया था निर्गमन 16 मे यीशु खुद को उस मन्ना का वास्तविक रूप बताते हैं जो आत्मिक भूख को हमेशा के लिए शांत करता है मन्ना खाने वाले मर गए  लेकिन यीशु को यानी उन पर विश्वास करने से अनन्त जीवन मिलता है यूहन्ना 6:49 में 51 यूहन्ना 6:41 का अर्थ क्या है ?     यहूदियों ने यीशु के सत्य वचन पर विश्वास नहीं किया क्योंकि वे उन्हें केवल यूसुफ का बेटा मानते थे ये समझ रहे थे जिसके मातापिता को वे जानते थे यूहन्ना 6:42 में वे उनके बाहरी रूप और मानवीय उत्पत्ति पर ध्यान केंद्रित कर रहे थे और वे प्रभु यीशु को मसीहा स्वीकार ...

जीवन लेना जीवन देना किसके पास है ? Step-by-step

 जीवन लेना जीवन देना किसके पास है ? Step-by-step  प्रभु यीशु परमेश्वर के द्वारा नया जन्म होता है आत्मा मे एक अनोखा चमत्कार हैं इस बात को वही मनुष्य समझता जो नये सिरे से उद्धार का अनुभव किया हैं और उसके जीवन मे सत्य की ज्योती आई हैं  वह मार्ग केवल प्रभु परमेश्वर के वचन से ही होता हैं यह एक चमत्कार हैं जिसे नया मन आत्मिक समझ मिलती हैं इन वचनों को ध्यान पढ़े । जीवन लेना जीवन देना किसके पास है ? Step-by-step  नमस्कार जय मसीह के मेरे प्रिय भाई बहनों प्रभू यीशु मसीह स्वम्य कहते है जीवन लेना जीवन देना मेरे ही हाथ में कैसे आईये इस बात को बाईबल पढ़कर जान लिजिए यूहन्ना रती सुसमाचार दस अध्याय का 17 ओर 18 वचन पढता हूं  पिता इसलिये मुझ से प्रेम रखता है, कि मैं अपना प्राण देता हूं कि उसे फिर ले लूं। कोई उसे मुझ से छीनता नहीं वरन मैं उसे आप ही देता हूं  यूहन्ना 10 : 17 मुझे उसके देने का अधिकार है और उसे फिर लेने का भी अधिकार है यह आज्ञा मेरे पिता से मुझे मिली है। आमीन जय मसीह की  यूहन्ना 10 : 18   हमारे प्रभु यीशु मसीह के परमेश्वर और पिता का धन्यवाद दो, जिस ने...

मनुष्य की उत्पत्ति कैसे हुई ? A - z जानकारी

 मनुष्य की उत्पत्ति कैसे हुई ? A - z जानकारी   मनुष्य की उत्पत्ति कैसे हुई ? A - z जानकारी  मनुष्य उत्पत्ति कुछ इस प्रकार हुई।  फिर परमेश्वर ने कहा, हम मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार अपनी समानता में बनाएं; और वे समुद्र की मछलियों, और आकाश के पक्षियों, और घरेलू पशुओं, और सारी पृथ्वी पर, और सब रेंगने वाले जन्तुओं पर जो पृथ्वी पर रेंगते हैं, अधिकार रखें। उत्पत्ति 1:26 तब परमेश्वर ने मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार उत्पन्न किया, अपने ही स्वरूप के अनुसार परमेश्वर ने उसको उत्पन्न किया, नर और नारी करके उसने मनुष्यों की सृष्टि की। उत्पत्ति 1:27 और यहोवा परमेश्वर ने आदम को भूमि की मिट्टी से रचा और उसके नथनों में जीवन का श्वास फूंक दिया; और आदम जीवता प्राणी बन गया। उत्पत्ति 2:7 तब यहोवा परमेश्वर ने आदम को भारी नीन्द में डाल दिया, और जब वह सो गया तब उसने उसकी एक पसली निकाल कर उसकी सन्ती मांस भर दिया। उत्पत्ति 2:21 और यहोवा परमेश्वर ने उस पसली को जो उसने आदम में से निकाली थी, स्त्री बना दिया; और उसको आदम के पास ले आया। उत्पत्ति 2:22 और आदम ने कहा अब यह मेरी हड्डियों में की...

1 तीमुथियुस 6:3 से 10 तक का अर्थ क्या हैं ? Step-by-step

1 तीमुथियुस 6:3 से 10 तक अर्थ क्या हैं ? Step-by-step नमस्कार जय मसीह की  1 तीमुथियुस 6:3 से 10 तक अर्थ क्या हैं ? Step-by-step यदि कोई और ही प्रकार का उपदेश देता है; और खरी बातों को, अर्थात हमारे प्रभु यीशु मसीह की बातों को और उस उपदेश को नहीं मानता, जो भक्ति के अनुसार है। 1 तीमुथियुस 6:3   तो वह अभिमानी हो गया, और कुछ नहीं जानता, वरन उसे विवाद और शब्दों पर तर्क करने का रोग है, जिन से डाह, और झगड़े, और निन्दा की बातें, और बुरे बुरे सन्देह। 1 तीमुथियुस 6:4 और उन मनुष्यों में व्यर्थ रगड़े झगड़े उत्पन्न होते हैं, जिन की बुद्धि बिगड़ गई है और वे सत्य से विहीन हो गए हैं, जो समझते हैं कि भक्ति कमाई का द्वार है। 1 तीमुथियुस 6:5 पर सन्तोष सहित भक्ति बड़ी कमाई है। 1 तीमुथियुस 6:6 क्योंकि न हम जगत में कुछ लाए हैं और न कुछ ले जा सकते हैं। 1 तीमुथियुस 6:7 और यदि हमारे पास खाने और पहिनने को हो, तो इन्हीं पर सन्तोष करना चाहिए। 1 तीमुथियुस 6:8 पर जो धनी होना चाहते हैं, वे ऐसी परीक्षा, और फंदे और बहुतेरे व्यर्थ और हानिकारक लालसाओं में फंसते हैं, जो मनुष्यों को बिगाड़ देती हैं और विनाश के समु...

क्या कारण आपके जीवन में रोग बीमारी है ? Step-by-step

 क्या कारण आपके जीवन में रोग बीमारी है ? Step-by-step  और जब यीशु जा रहा था, तो उसने एक मनुष्य को देखा जो जन्म से अंधा था  यूहन्ना 9:1 और उसके चेलों ने उस से पूछा, हे रब्बी, किस ने पाप किया था कि यह अन्धा जन्मा, इस मनुष्य ने, या उसके माता पिता ने? यूहन्ना 9:2 यीशु ने उत्तर दिया, कि न तो इस ने पाप किया था, न इस के माता पिता ने: परन्तु यह इसलिये हुआ, कि परमेश्वर के काम उस में प्रगट हों। यूहन्ना 9:3 जिस ने मुझे भेजा है; हमें उसके काम दिन ही दिन में करना अवश्य है: वह रात आनेवाली है जिस में कोई काम नहीं कर सकता। यूहन्ना 9:4 जब तक मैं जगत में हूं, तब तक जगत की ज्योति हूं। यूहन्ना 9:5 यह कहकर उस ने भूमि पर थूका और उस थूक से मिट्टी सानी, और वह मिट्टी उस अन्धे की आंखों पर लगाकर। यूहन्ना 9:6 उस से कहा; जा शीलोह के कुण्ड में धो ले, (जिस का अर्थ भेजा हुआ है) सो उस ने जाकर धोया, और देखता हुआ लौट आया। यूहन्ना 9:7 तब पड़ोसी और जिन्हों ने पहले उसे भीख मांगते देखा था, कहने लगे; क्या यह वही नहीं, जो बैठा भीख मांगा करता था? यूहन्ना 9:8 कितनों ने कहा, यह वही है औरों ने कहा, नहीं; परन्तु उसके...

दाऊद के पुत्र सुलेमान के नीतिवचन 1:1 step by step

 दाऊद के पुत्र सुलेमान के नीतिवचन 1:1 step by step  1दाऊद के पुत्र इस्राएल के राजा सुलैमान के नीतिवचन  इनके द्वारा पढ़ने वाला बुद्धि और शिक्षा प्राप्त करे और समझ की बातें समझे नीतिवचन 1:2 और काम करने में प्रवीणता, और धर्म, न्याय और सीधाई की शिक्षा पाए नीतिवचन 1:3 कि भोलों को चतुराई, और जवान को ज्ञान और विवेक मिले; नीतिवचन 1:4 कि बुद्धिमान सुन कर अपनी विद्या बढ़ाए, और समझदार बुद्धि का उपदेश पाए नीतिवचन 1:5 जिस से वे नितिवचन और दृष्टान्त को, और बुद्धिमानों के वचन और उनके रहस्यों को समझें नीतिवचन 1:6 यहोवा का भय मानना बुद्धि का मूल है; बुद्धि और शिक्षा को मूढ़ ही लोग तुच्छ जानते हैं नीतिवचन 1:7 हे मेरे पुत्र, अपने पिता की शिक्षा पर कान लगा, और अपनी माता की शिक्षा को न तज  नीतिवचन 1:8 क्योंकि वे मानो तेरे सिर के लिये शोभायमान मुकुट, और तेरे गले के लिये कन्ठ माला होंगी। नीतिवचन 1:9 हे मेरे पुत्र, यदि पापी लोग तुझे फुसलाएँ, तो उनकी बात न मानना। नीतिवचन 1:10 यदि वे कहें, हमारे संग चल कि, हम हत्या करने के लिये घात लगाएं हम निर्दोषों की ताक में रहें नीतिवचन 1:11 हम अधोलोक की ...