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भटकती हुई भेड़ो का यह द्रष्टान्त सीखो ?

 भटकती हुई भेड़ो का यह द्रष्टान्त सीखो  प्रभु यीशु मसीह अक्सर लोगों को परमेश्वर के राज्य के बारे में सिखाने के लिए साधारण कहानियों दृष्टांतों का उपयोग करते थे। एक बार उन्होंने फरीसियों और शास्त्रीय पंडितों को देखकर यह दृष्टांत सुनाया भटकती हुई भेड़ो का यह द्रष्टान्त सीखो ?  तुम में से कौन है जिस की सौ भेड़ें हों और उन में से एक खो जाए तो निन्नानवे को जंगल में छोड़कर उस खोई हुई को जब तक मिल न जाए खोजता न रहे? और जब मिल जाती है, तब वह बड़े आनन्द से उसे कांधे पर उठा लेता है। और घर में आकर मित्रों और पड़ोसियों को इकट्ठे करके कहता है मेरे साथ आनन्द करो क्योंकि मेरी खोई हुई भेड़ मिल गई है। मैं तुम से कहता हूं कि इसी रीति से एक मन फिरानेवाले पापी के विषय में भी स्वर्ग में इतना ही आनन्द होगा जितना कि निन्नानवे ऐसे धमिर्यों के विषय नहीं होता जिन्हें मन फिराने की आवश्यकता नहीं या कौन ऐसी स्त्री होगी जिस के पास दस सिक्के हों और उन में से एक खो जाए तो वह दीया बारकर और घर झाड़ बुहार कर जब तक मिल न जाए, जी लगाकर खोजती न रहे ? और जब मिल जाता है तो वह अपने सखियों और पड़ोसिनियों को इकट्...

1 यूहन्ना 2 का 1 वचन हमें क्या सिखाता है ?1 yoohanna 2 ka 1 vachan hamen kya sikhaata hai

 1 यूहन्ना 2 का 1 वचन हमें क्या सिखाता है 1 yoohanna 2 ka 1 vachan hamen kya sikhaata hai  नमस्कार जय मसीह की मेरे प्रिय भाई बहनो  1 यूहन्ना 2 का 1 वचन हमें क्या सिखाता है आईये इस बात को बाईबल पढ़कर जानेंगे   हे मेरे बालकों, मैं ये बातें तुम्हें इसलिये लिखता हूं, कि तुम पाप न करो प्रेरित यूहन्ना अपने पाठकों को जिन्हें वह मेरे बालकों कहकर संबोधित करता है, जो विश्वासियों के प्रति उसका प्रेम और आत्मिक अधिकार दर्शाता है यह स्पष्ट निर्देश देता है कि उनका लक्ष्य पाप रहित जीवन जीना चाहिए।   परमेश्वर की ज्योति में चलने का अर्थ है पवित्रता का जीवन जीना और जानबूझकर पाप करने से बचना। यह एक चेतावनी है और प्रोत्साहन दोनों है कि मसीही जीवन का उद्देश्य पाप से दूर रहना है।  और यदि कोई पाप करे तो पिता के पास हमारा एक सहायक है अर्थात धार्मिक यीशु मसीह यह वचन उस वास्तविकता को भी स्वीकार करता है कि विश्वासी भी दुर्बल हैं और कभी-कभी पाप कर बैठते हैं ।   यह भाग मसीहियों को बड़ी दिलासा देता है। जब हम पाप करते हैं, तो हमें निराशा या परमेश्वर से दूर नहीं भागना चाहिए, ...

बाईबल हमें क्या सिखाती है। bible hamen kya sikhaate hai

 पवित्र आत्मा बाईबल हमें क्या सिखाते है। pavitr aatma baeebal hamen kya sikhaate hai बाईबल हमें जीवन के हर पहलू के लिए गहन और व्यावहारिक शिक्षाएँ देती है। ये शिक्षाएँ आत्मिक नैतिक और व्यवहारिक होती हैं।  बाईबल हमें यह सिखाती है कि परमेश्वर एक है, वह प्रेम और न्याय का स्रोत है, और वह सृष्टि का रचयिता है।  बाईबल हमें क्या सिखाती है।   बाईबल हमें यह बताती है कि सभी मनुष्य पापी हैं और परमेश्वर से दूर हो गए हैं।   बाईबल की केंद्रीय शिक्षा यह है कि परमेश्वर ने अपने पुत्र यीशु मसीह को इस संसार में भेजा। यीशु पर विश्वास करने और उनके बलिदान को स्वीकार करने से पापों की क्षमा और अनंत जीवन मिलता है।  बाईबल हमें यह सिखाती है कि परमेश्वर अपनी आत्मा के द्वारा हमें मार्गदर्शन देते हैं आत्मिक शक्ति देते हैं और हमें पवित्रता में बढ़ने में हमारी मदद करते हैं।  बाईबल हमें यह सिखाती तू परमेश्वर से अपने सारे मन और अपने सारे प्राण और बुद्धि से प्रेम करो और अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम करो। पवित्र आत्मा बाईबल हमें क्या सिखाते है।   बाईबल हमें यह सिखाती है क...

यूहन्ना 6:41 का अर्थ क्या है ? yoohanna 6:41 ka arth kya hai ?

 yoohanna 6:41 ka arth kya hai ? यूहन्ना 6:41 का अर्थ क्या है ?      भौतिक रोटी शरीर को थोड़े समय के लिए पोषण देती है लेकिन यीशु का अर्थ है आत्मिक पोषण जो अनन्त जीवन देता है      यह उनकी दैवीय उत्पत्ति को दर्शाता है  वह केवल एक इंसान नहीं हैं जैसा कि यहूदी सोचते थे बल्कि परमेश्वर की ओर से आए हैं  yoohanna 6:41 ka arth kya hai ?     पुराने नियम में परमेश्वर ने इस्राएलियों को जंगल में मन्ना स्वर्ग की रोटी खिलाया था निर्गमन 16 मे यीशु खुद को उस मन्ना का वास्तविक रूप बताते हैं जो आत्मिक भूख को हमेशा के लिए शांत करता है मन्ना खाने वाले मर गए  लेकिन यीशु को यानी उन पर विश्वास करने से अनन्त जीवन मिलता है यूहन्ना 6:49 में 51 यूहन्ना 6:41 का अर्थ क्या है ?     यहूदियों ने यीशु के सत्य वचन पर विश्वास नहीं किया क्योंकि वे उन्हें केवल यूसुफ का बेटा मानते थे ये समझ रहे थे जिसके मातापिता को वे जानते थे यूहन्ना 6:42 में वे उनके बाहरी रूप और मानवीय उत्पत्ति पर ध्यान केंद्रित कर रहे थे और वे प्रभु यीशु को मसीहा स्वीकार ...

जीवन लेना जीवन देना किसके पास है ? Step-by-step

 जीवन लेना जीवन देना किसके पास है ? Step-by-step  प्रभु यीशु परमेश्वर के द्वारा नया जन्म होता है आत्मा मे एक अनोखा चमत्कार हैं इस बात को वही मनुष्य समझता जो नये सिरे से उद्धार का अनुभव किया हैं और उसके जीवन मे सत्य की ज्योती आई हैं  वह मार्ग केवल प्रभु परमेश्वर के वचन से ही होता हैं यह एक चमत्कार हैं जिसे नया मन आत्मिक समझ मिलती हैं इन वचनों को ध्यान पढ़े । जीवन लेना जीवन देना किसके पास है ? Step-by-step  नमस्कार जय मसीह के मेरे प्रिय भाई बहनों प्रभू यीशु मसीह स्वम्य कहते है जीवन लेना जीवन देना मेरे ही हाथ में कैसे आईये इस बात को बाईबल पढ़कर जान लिजिए यूहन्ना रती सुसमाचार दस अध्याय का 17 ओर 18 वचन पढता हूं  पिता इसलिये मुझ से प्रेम रखता है, कि मैं अपना प्राण देता हूं कि उसे फिर ले लूं। कोई उसे मुझ से छीनता नहीं वरन मैं उसे आप ही देता हूं  यूहन्ना 10 : 17 मुझे उसके देने का अधिकार है और उसे फिर लेने का भी अधिकार है यह आज्ञा मेरे पिता से मुझे मिली है। आमीन जय मसीह की  यूहन्ना 10 : 18   हमारे प्रभु यीशु मसीह के परमेश्वर और पिता का धन्यवाद दो, जिस ने...